होली कुछ इस तरह

लो जेलर साहब ने आज फिर बुलाया
कैदियों को काव्य पाठ सुनाया

    जी हां , जीवन के रंगों के त्यौहार होली के प्रसंग पर जेलर साहब ने आज फिर जेल में बुलाया । सर्वप्रथम जेलेश्वर महादेव के दर्शन किया । फिर कैदियों को काव्य पाठ सुनाया । तत्पश्चात गुलाल अबीर से मेने कैदियों के तिलक कर होली मनाई,, उनके तनाव और दबाव को पल भर के लिए हल्का करने का प्रयास किया ।
     उन्होंने मेरे  तिलक किया गालों पर गुलाल लगाई और प्रणाम किया । कुछ ने चरण स्पर्श करने का प्रयास किया,, मेने हाथ पकड़ कर उन्हे प्रेम से रोक लिया । कुछ लोग भावुक हो गए उनकी रुलाई फूट पड़ी । आंखे नम नजर आई,, हो सकता हैं उन्हें कोई घटना याद आई ।
  जीवन क्रम और कर्म बंधन के विधान को स्वीकार कर जेल से रवाना हुआ ।

✍️ नारायणसिंह राव निराकार
साहित्यकार संपादक
साकेत साहित्य संस्थान, राजसमंद
दिनांक -14 मार्च 2025

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