साकेत का गठन और उद्देश्य—
दिनांक 21 सितंबर सन 2000 को आमेट नगर में श्री विजयसिंह राव श्री जगदीश चंद्र जोशी श्री नारायणसिंह राव निराकार श्री संपत उजाला श्री ओम पारीक श्री हीरालाल सोनी दलीचंद कच्छारा श्री बख्तावरसिंह चुंडावत श्री संपत मेहता के सानिध्य में साकेत साहित्य संस्थान का उद्भव हुआ हैं। फिर हस्तीमल जी हस्ती डॉक्टर मदन जी डांगी डॉक्टर बसंतीलाल जी बाबेल कुंदन जी लोढ़ा दिलीप जिगर सुरेश मेवाड़ा तनसुख जी बोहरा ने मिलकर नियमित मासिक गोष्ठी को प्रारंभ किया।दिनांक 25 मई सन 2020 को महाराणा प्रताप जयंती पर जिला मुख्यालय राजसमंद पर श्री राजेंद्र सनाढय श्री परितोष पालीवाल श्री नारायणसिंह राव निराकार श्री कमलेश जोशी श्री बख्तावर सिंह चुंडावत श्री पूरण शर्मा श्रीमती वीणा वैष्णव श्री राधेश्याम राणा श्री छैल बिहारी शर्मा नवरत्न सदस्यों के सानिध्य में पुनर्गठन हुआ।दिनांक 27 मार्च 2024 को इसकी प्राण प्रतिष्ठा स्वरूप शासकीय रजिस्ट्रेशन हुआ हैं। साकेत संस्थान के राजकीय प्रमाणिकता के क्रम में आ धार कार्ड, पेन कार्ड और स्वयं का बैंक खाता हैं। 80 जी के अन्तर्गत रजिस्टर्ड हैं।वर्तमान में सोशियल मीडिया के द्वारा साहित्य की सेवा के निमित्त 14 व्हाट्सएप ग्रुप बने हुए हैं जिसमें सेंकड़ों पाठक जुड़े हुए हैं। 14 व्हाट्सएप ग्रुप में से एक साकेत मुख्य पटल के नाम से हैं जिसमें साहित्यिक रचनाओं का नियमित प्रेषण होने के बाद विचारों का आदान प्रदान होता हैं। एक साकेत पंजीकृत नाम से ग्रुप हैं जिसमें शुल्क जमा करा कर सदस्यता स्वीकार करने वाले लोगों को जोड़ा गया हैं एवं केवल एडमिन नियंत्रण कर के महत्वपूर्ण सूचनाएं पोस्ट की जाती हैं। बाकी 12 ग्रुप क्षेत्रीय तहसील अनुसार बने हुए हैं।संस्थान के संगठनात्मक नियंत्रण और निर्णय के लिए 2 लघु व्हाट्सएप ग्रुप बना रखें हैं जिसमें कोर कमेटी द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं।संस्थान द्वारा समसामयिक विषयों और सरकार द्वारा प्रदत्त जनजागरुकता कार्यक्रमों के क्रम में 31 मार्च 2024 तक 27 पुस्तकों एवं ई बुक का प्रकाशन स्ववित्त बजट से किया गया हैं।माह मई 2020 से 31 मार्च 2024 तक संस्थान की व्यवस्था और अर्थव्यवस्था में सहयोग की भावना से विधिवत सेंकड़ों सशुल्क सदस्य जुड़े हुए हैं।वर्तमान में राजसमंद जिले की 11 तहसीलों और उदयपुर जिले सहित 12 शाखाएं साकेत संस्थान की संचालित हो रही हैं जिनकी अपनी कार्यकारिणी बनी हुई हैं और साहित्यिक गतिवधियां प्रायः होती रहती हैं।डाइट संस्थान नाथद्वारा से प्रकाशित होने वाली पत्रिका प्राकट्य के लिए विगत 4 बरसों से साहित्यिक लेखन सामग्री साकेत संस्थान के माध्यम से संकलित की जा रही हैं।साकेत का मूल उद्देश्य नगर महानगर के साथ देहात और ग्रामीण अंचलों से नवोदित कवि रचनाकार को आगे लाना हैं। भारत की तीर्थ भूमि हमारें गांवों में साहित्य की अलख जगाने का प्रकल्प हैं।नए लोगों को अभिव्यक्ति के अवसर देते हुए मंच पर बोलने के लिए आत्मविश्वास की अभिवृद्धि हेतु नियमित मासिक साहित्य संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा हैं।वर्तमान में वटवृक्ष के रूप में स्थापित अनेक रचनाकारों के लिए साकेत संस्थान उनके लिए नर्सरी की पाठशाला के रूप में रहा हैं, शायद अब वो स्वीकार करें या नहीं मगर हम इसके साक्षी हैं। उनको उच्च मुकाम पर देख कर हमारा सीना गर्व से फूल जाता हैं।वर्ष 2012 से 2016 तक मेधा मिलन पर्व के नाम से राजसमंद में राज्य स्तरीय साहित्य कुंभ श्री भगवतसिंह राव पारस आईडाना के अर्थ सहयोग से प्रतिवर्ष आयोजित हुए हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं भाषाओं में मनोहर मेवाड़ साहित्य सम्मान के नाम से प्रत्येक 5 प्रतिभा को 7100 रुपए नकद प्रदान कर सम्मान देने का सिलसिला रहा हैं।साकेत ने बड़े बेनर और राजकीय विभागों की सहभागिता में अनगिनत सफल प्रभावी आयोजन किए हैं जिसमें जिला कलक्टर कार्यालय, जिला परिषद, परिवहन विभाग, नगर परिषद, चिकित्सा विभाग, वन विभाग, राजस्थान पुलिस, शिक्षा विभाग, नेहरू युवा केंद्र, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, एज्यूकेट गर्ल्स, महिला अधिकारिता विभाग, उपखंड प्रशासन आमेट, महिला एवं बाल विकास विभाग स्काउट गाइड विभाग न्याय विभाग सुभाष पब्लिक स्कूल जिला कारागृह के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जिला निर्वाचन एवं चुनाव कार्यक्रम के अलावा राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर राजस्थान पत्रिका दैनिक भास्कर जैसे बड़े समाचार पत्रों का साथ मिला हैं।
हमारे स्तंभ


साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन—
साकेत साहित्य संस्थान की गतिविधियों में साहित्यिक गोष्ठियाँ एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। यह गोष्ठियाँ नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं, जिसमें विभिन्न साहित्यकार, कवि, और लेखक अपने विचारों और रचनाओं को साझा करते हैं। इन गोष्ठियों का उद्देश्य न केवल संवाद को प्रोत्साहित करना है, बल्कि नए साहित्यकारों को भी एक मंच प्रदान करना है, जहाँ वे अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर सकें। यह एक ऐसा अवसर है, जहां अनुभवी लेखक न केवल अपने अनुभव साझा करते हैं, बल्कि नए लेखकों को मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। गोष्ठियों का आयोजन विभिन्न विषयों पर किया जाता है, जैसे कविता, कथा, निबंध, और समकालीन साहित्य। यह सत्र रचनात्मकता को बढ़ावा देने का एक कारगर माध्यम हैं, जहां प्रतिभागी अपनी रचनाओं का पाठ करते हैं और श्रोताओं से विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। इससे साहित्यिक संवाद की एक नई दिशा मिलती है, जिससे सभी प्रतिभागियों के विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर मिलता है। यह गोष्ठियाँ नए साहित्यकारों को प्रेरित करती हैं, क्योंकि वे अपने समकक्ष लेखकों के साथ बातचीत में शामिल होते हैं, जो उनकी लिखने की यात्रा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। अधिकतर मामलों में, ये गोष्ठियाँ नई प्रतिभाओं के लिए ऐसे अवसर उपस्थित करती हैं, जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती हैं। एक स्वस्थ साहित्यिक वातावरण का निर्माण करते हुए, ये आयोजन न केवल रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि साहित्यिक समुदाय को भी एकजुट करते हैं। निस्संदेह, साकेत साहित्य संस्थान की साहित्यिक गोष्ठियाँ साहित्यिक विकास और संवाद का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।सरकारी योजनाओं की जागरूकता सरकारी योजनाओं की जागरूकता विशेष रूप से उन समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, जो योजनाओं के लाभों से वंचित रह जाते हैं। साकेत साहित्य संस्थान ने इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। संस्था ने सरकारी योजनाओं की प्रभावी जानकारी को समुदाय तक पहुँचाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इसके माध्यम से, लोग न केवल सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त करते हैं, बल्कि उन योजनाओं के कार्यान्वयन में भी भागीदारी करते हैं। साकेत द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रमों में स्थानीय निवासियों को शामिल किया जाता है, ताकि वे योजनाओं के लाभों को समझ सकें। यह प्रक्रिया समुदाय की आवश्यकताओं को समझने में मदद करती है और साथ ही यह स्पष्ट करती है कि सरकारी योजनाओं का सही और प्रभावी क्रियान्वयन कैसे किया जा सकता है। साकेत स्वयंसेवक और स्थानीय नेता इन कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे लोगों में जाकर जागरूकता फैलाना और स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दों पर चर्चाएँ करना संभव होता है। इसका एक और पहलू यह है कि जागरूकता अभियान केवल सूचनात्मक नहीं होते, बल्कि यह समुदायों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं। जब लोग सरकारी योजनाओं के बारे में सूचना प्राप्त करते हैं, तो वे सक्रिय रूप से उन योजनाओं में भाग लेते हैं, जिसे कि उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर मिलता है। इस प्रकार, साकेत साहित्य संस्थान ने जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे समाज में बदलाव और विकास की प्रक्रिया को गति मिली है।




सरकारी योजनाओं की जागरूकता—
सरकारी योजनाओं की जागरूकता विशेष रूप से उन समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, जो योजनाओं के लाभों से वंचित रह जाते हैं। साकेत साहित्य संस्थान ने इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। संस्था ने सरकारी योजनाओं की प्रभावी जानकारी को समुदाय तक पहुँचाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इसके माध्यम से, लोग न केवल सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त करते हैं, बल्कि उन योजनाओं के कार्यान्वयन में भी भागीदारी करते हैं। साकेत द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रमों में स्थानीय निवासियों को शामिल किया जाता है, ताकि वे योजनाओं के लाभों को समझ सकें। यह प्रक्रिया समुदाय की आवश्यकताओं को समझने में मदद करती है और साथ ही यह स्पष्ट करती है कि सरकारी योजनाओं का सही और प्रभावी क्रियान्वयन कैसे किया जा सकता है। साकेत स्वयंसेवक और स्थानीय नेता इन कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे लोगों में जाकर जागरूकता फैलाना और स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दों पर चर्चाएँ करना संभव होता है। इसका एक और पहलू यह है कि जागरूकता अभियान केवल सूचनात्मक नहीं होते, बल्कि यह समुदायों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं। जब लोग सरकारी योजनाओं के बारे में सूचना प्राप्त करते हैं, तो वे सक्रिय रूप से उन योजनाओं में भाग लेते हैं, जिसे कि उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर मिलता है। इस प्रकार, साकेत साहित्य संस्थान ने जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे समाज में बदलाव और विकास की प्रक्रिया को गति मिली है।






सामाजिक कार्यों में योगदान—
साकेत साहित्य संस्थान ने स्थानीय समुदाय के विकास और उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके सदस्यों ने कई सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायता मिली है। साकेत का प्राथमिक उद्देश्य सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा देना और सामुदायिक संवाद को सक्षम करना है। इसके लिए, संस्थान ने विभिन्न पहल की हैं, जो न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि स्वास्थ्य, कल्याण, और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी ध्यान केंद्रित करती हैं। साकेत साहित्य संस्थान द्वारा चलाए गए प्रमुख कार्यक्रमों में साक्षरता अभियान शामिल हैं, जहां स्वयंसेवक स्थानीय निवासियों को पढ़ाई और लेखन की मूल बातें सिखाने का काम करते हैं। इस पहल ने हजारों लोगों को शिक्षा के महत्व को समझने और अपने जीवन में बदलाव लाने का अवसर दिया है। इसके अतिरिक्त, संस्थान स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित करता है, जिसमें मुफ्त चिकित्सा जांच और स्वास्थ्य संबंधी कार्यशालाएँ शामिल हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों का उद्देश्य समुदाय की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करना है, जो कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने में मदद करता है। साकेत संस्थान ने स्थानीय कलाओं और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम, जैसे कविता पाठ, नाटक, और संग्रहालय प्रदर्शनियों का आयोजन करके, साकेत स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान करता है और उनके प्रयासों को मान्यता देता है। इस प्रकार, साकेत साहित्य संस्थान केवल साहित्यिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं में सक्रिय भागीदारी करता है, जिससे सामुदायिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है। इस तरह के कार्यों के माध्यम से, साकेत ने अपने सदस्यों को प्रेरित किया है कि वे अपनी कौशल का उपयोग करके समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।
साकेत का भविष्य और संभावनाएँ—
साकेत साहित्य संस्थान, जो साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से समाज को जोड़ने का कार्य करता है, भविष्य में कई नई योजनाओं और संभावनाओं पर काम कर रहा है। संस्थान का लक्ष्य न केवल साहित्य के क्षेत्र में बल्कि समग्र सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है। इसके अंतर्गत, संस्थान ने विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं की योजना बनाई है, जो न केवल पाठकों बल्कि लेखकों और युवा सृजनकर्ताओं को भी अपने विचारों को व्यक्त करने का मंच प्रदान करेंगी। संस्थान द्वारा आयोजित होने वाली नई गतिविधियों में विशेष रूप से लेखन कार्यशालाएँ, कवि सम्मेलन और संगोष्ठियाँ शामिल हैं। यह गतिविधियाँ सदस्यों की प्रतिभा को उजागर करने के साथ-साथ अन्य प्रतिभाशाली व्यक्तियों को भी प्रोत्साहन देंगी। इसके अलावा, डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन साहित्यिक कार्यक्रमों की शुरुआत, वैश्विक दर्शकों तक पहुँचने की संभावनाओं को भी खोलती है। यह तरीका युवा लेखकों को अपनी रचनाएँ साझा करने और नए पाठकों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करेगा। साकेत साहित्य संस्थान का एक और प्रमुख लक्ष्य सामुदायिक सेवा गतिविधियों के माध्यम से समाज को सशक्त बनाना है। संस्था स्कूलों और कॉलेजों के साथ मिलकर साहित्यिक कम्पटीशंस आयोजित करने का विचार कर रही है, जिससे युवा पीढ़ी में साहित्य के प्रति रुचि बढ़ेगी। इससे न केवल शिक्षा के स्तर में सुधार होगा बल्कि एक समृद्ध साहित्यिक संस्कृति का विकास भी होगा। भविष्य में, साकेत साहित्य संस्थान अपने सदस्यों और समुदाय के सहयोग से एक प्रभावशाली साहित्यिक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। इसका उद्देश्य साहित्य की शक्ति का उपयोग करके सामाजिक बदलाव लाना है, और यह सुनिश्चित करना है कि साहित्य हर वर्ग के लोगों के लिए सुलभ हो|
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यह कविता उन स्त्रियों के लिए जो पुरुषों को झूठे आरोपों में फ़ँसाती है। ऐसे पुरुषों के सच्चे होने पर भी उनके हृदय मे जीवनभर दावाग्नि जलती रहती है। जब तक उन्हें न्याय मिलता है तब तक या तो उनकी उम्र निकल जाती है या साँसे :-
मैं स्त्री हूँ, करती हूँ सबमें प्रवेश, निवेश हूँ और हूँ सबसे विशेष।क्यूँ भूलूँ कि मैं ही आरम्भ, मैं ही […]
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बोझ
जहां कहीं जाते हैंअपनी डिग्रियों, पुरस्कारों सेभरे थैले का बोझ उठा लाते है।इसे कहीं रखते भी नहींबोझ कैसा भी होबोझ […]
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स्वागतम्
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